Friday, October 12, 2007

ख़ास दिन.

दोस्तों,
15 अक्तूबर मेरे लिए ख़ास नही हुआ करता था पहले, मगर अब बहुत ख़ास हो गया है. कारण? नीचे लिखा है, समझ सको तो समझ लो. और अगर समझ गये कहीं 15 से पहिले, तनिक सेक्रेटे रखिएगा, बुझ गये ना... हाँ.

ख़ास दिन.
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दिल मे हो उमंगें होठो पे तबस्सुम
मौक़ा--सालगिरह पर ख़ुश रहो तुम.
माँगा है हमेशा ही चाहूँगा ये हरदम
तेरी ज़िंदगी की राह मे हो ख़ुशियों का आलम.

ख्वाबों को तेरे मिल जाए ताबीर अभी से
दुआ यही करता हूँ मैं हर रोज़ खुदा से.
देने तुझे दिल-से जन्मदिन की बधाई
आए हैं तेरे दोस्त मिलके खाने मिठाई.

दिल मे यही चाहत है मेरे अब हसीना
रहना है तेरे साथ गर मुझको है जीना.
मशहूर मुझे लगता है हो जाऊंगा इक दिन
यूँ ही अगर लिखता रहूं तेरे प्यार मे गाना.
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संजईया.