Friday, October 12, 2007

ख़ास दिन.

दोस्तों,
15 अक्तूबर मेरे लिए ख़ास नही हुआ करता था पहले, मगर अब बहुत ख़ास हो गया है. कारण? नीचे लिखा है, समझ सको तो समझ लो. और अगर समझ गये कहीं 15 से पहिले, तनिक सेक्रेटे रखिएगा, बुझ गये ना... हाँ.

ख़ास दिन.
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दिल मे हो उमंगें होठो पे तबस्सुम
मौक़ा--सालगिरह पर ख़ुश रहो तुम.
माँगा है हमेशा ही चाहूँगा ये हरदम
तेरी ज़िंदगी की राह मे हो ख़ुशियों का आलम.

ख्वाबों को तेरे मिल जाए ताबीर अभी से
दुआ यही करता हूँ मैं हर रोज़ खुदा से.
देने तुझे दिल-से जन्मदिन की बधाई
आए हैं तेरे दोस्त मिलके खाने मिठाई.

दिल मे यही चाहत है मेरे अब हसीना
रहना है तेरे साथ गर मुझको है जीना.
मशहूर मुझे लगता है हो जाऊंगा इक दिन
यूँ ही अगर लिखता रहूं तेरे प्यार मे गाना.
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संजईया.

Friday, August 24, 2007

बहुत हो गया

आजकल जे मेघ बाढ़ से बर्बादी है ना ओकरे देख हमरा कुछ लिखे के मन कलको. एहए लिख पलियो हा.

बहुत
हो गया
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बहुत हो गया अबके साल
इतना तो कर दिया बबाल.

अब क्या क्या बर्बाद करोगे
पेड़-पहाड़ कब तक तोडोगे
गाय बैल बकरी का छोड़ो
लोगो का जीना है मुहाल

बहुत हो गया अबके साल
इतना तो कर दिया बबाल.

ग़लती हमसे हुई है माना
वन-उपवन सब काटे जाना
अवसर दो की सही कर पाए
अब तक जो कुछ किया निढाल

बहुत हो गया अबके साल
इतना तो कर दिया बबाल.

संजईया.

Saturday, August 18, 2007

पहली बार

पहली बार
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जब पहली बार मिले थे तुम
हम भूल गये थे सारे ग़म
चुपके- से देखा था तुमको
डर था ना पकड़े जाए हम .

मन मे थी ली उमंगों ने किलकारी
तुम लगती थी कितनी प्यारी
तुम्हारी चंचल- सी काया
दिल को था कितना भाया .

जब देखी थी तेरी आँखें
दिल चाहा करलूँ इनसे बातें
किनती सुंदर, कितनी प्यारी
चंचल, चतुर और सुकुमारी .

तेरे बालों ने मोहा मेरा मन
हर लट लगती नंबर वन
जब उड़ते है तेरे गालों पे
कुछ करने को होता है मन .

क्यूं आज तरसता है ये दिल
क्यूं एक झलक भी है मुश्किल
जब खाई थी कसमें मिलके
फिर भी है क्यूं हम तन्हा दिल .

संजय.
23-December-2006

Friday, August 17, 2007

कवि.

कवि.

मैं भी कवि बनना चाहता हूं.
कलम की रोशनाई से नभ पर
कुछ पंक्तियाँ उकेरणा चाहता हूं
मैं भी कवि बनना चाहता हूं.

कवि क्षितिज़ के पार भी देख पाता है
दिनकर भी जहाँ झाँक नही पाता है
अनंत की गहराइयों मे देखना चाहता हूं
मैं भी कवि बनना चाहता हूं.

जीवन की नदी बहती है
बंधनों के बीच मे चलती है
बांधो को तोड़ के बहना चाहता हूं
मैं भी कवि बनना चाहता हूं

कलम की रोशनाई से नभ पर
कुछ पंक्तियाँ उकेरणा चाहता हूं
मैं भी कवि बनना चाहता हूं.

संजईया.

कुछ बातें.

कुछ बातें

कुछ बातें कितना हँसाती है
कुछ बातें कितना रुलाती है.

बचपन की जब भी बात चले
पुलकित हो जाता है तन-मन
गिल्ली-डंडा कबडड़ी-कबडड़ी
पोखरी पवनी मुस्काती है

कुछ बातें कितना हँसाती है
कुछ बातें कितना रुलाती है.

देखो कहा आकर बैठ गया
ना जाने क्युकर ऐठ गया
कुछ भी तो नही है पास मेरे
वो यादें कितना रुलाती है

कुछ बातें कितना हँसाती है
कुछ बातें कितना रुलाती है.

सन्जैया.

Wednesday, August 15, 2007

जय हिंद

हिंद देश का प्यारा झंडा ऊँचा सदा रहेगा,
ऊँचा सदा रहेगा झंडा ,ऊँचा सदा रहेगा !!
शान हमारी यह झंडा है यह अरमान हमारा ,
यह बालपौरूश है सदियों का ,यह बलिदान हमारा,
जहाँ जहाँ यह जाए झंडा यह संदेश सुनाए ,
है आज़ाद हिंद यह दुनिया को आज़ाद करेगा,
ऊँचा सदा रहेगा झंडा ऊँचा सदा रहेगा !!

केसरिया बल भरने वाला सदा है सच्चाई ,
हरा रंग है हरी हमारी , धरती की अंगराए ,
कहता है यह चक्र हमारा ,क़दम ना कहीं रूकेगा,
ऊँचा सदा रहेगा झंडा ऊँचा सदा रहेगा
हिंद देश का प्यारा झंडा ,ऊँचा सदा रहेगा !!
नही चाहते हम दुनिया मे अपना राज ज़माना ,
नही चाहते औरों के मुँह की रोटी खा जाना ,
सत्य न्याय के लिए हमारा लोहू सदा बहेगा,
ऊँचा सदा रहेगा झंडा, ऊँचा सदा रहेगा !!
हम कितने सुख सपने लेकर इसको फाहरते है ,
इश् झंडे पैर मार मिटने की कसम सभी खाते है
ऊँचा सदा रहेगा झंडा ऊँचा सदा रहेगा ,
हिंद देश का प्यारा झंडा ऊँचा सदा रहेगा !!
जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद !!

जय हिंद
सं या.

ई रहलो हमर पहिला ब्लॉग.

रहलो हमर पहिला ब्लॉग.
हे हे.
कहे के मतलब जे जब टाइम कटले ना कटे, तब जे लिखल जाइचछाई ओकरा कहैइच्छाई ब्लॉग. बुझला की ना भाई.

वैसे जाडे लिखे के विचार मे ना छ्छीओ. बाद मे लिखबो कहियो. अगर टोरा सबके कुछ टाइम मिलो ता देख़ाइट रहिया गगहिया के, की पता कभी कुछ ढंग के भी लिखा जाओ

सं या.