कुछ बातें
कुछ बातें कितना हँसाती है
कुछ बातें कितना रुलाती है.
बचपन की जब भी बात चले
पुलकित हो जाता है तन-मन
गिल्ली-डंडा कबडड़ी-कबडड़ी
पोखरी पवनी मुस्काती है
कुछ बातें कितना हँसाती है
कुछ बातें कितना रुलाती है.
देखो कहा आकर बैठ गया
ना जाने क्युकर ऐठ गया
कुछ भी तो नही है पास मेरे
वो यादें कितना रुलाती है
कुछ बातें कितना हँसाती है
कुछ बातें कितना रुलाती है.
सन्जैया.
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