आजकल जे मेघ आ बाढ़ से बर्बादी है ना ओकरे देख क हमरा कुछ लिखे के मन कलको. त एहए लिख पलियो हा.
बहुत हो गया
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बहुत हो गया अबके साल
इतना तो कर दिया बबाल.
अब क्या क्या बर्बाद करोगे
पेड़-पहाड़ कब तक तोडोगे
गाय बैल बकरी का छोड़ो
लोगो का जीना है मुहाल
बहुत हो गया अबके साल
इतना तो कर दिया बबाल.
ग़लती हमसे हुई है माना
वन-उपवन सब काटे जाना
अवसर दो की सही कर पाए
अब तक जो कुछ किया निढाल
बहुत हो गया अबके साल
इतना तो कर दिया बबाल.
संजईया.
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1 comment:
Sahi hai!! Challenging mother nature :)
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