Friday, August 24, 2007

बहुत हो गया

आजकल जे मेघ बाढ़ से बर्बादी है ना ओकरे देख हमरा कुछ लिखे के मन कलको. एहए लिख पलियो हा.

बहुत
हो गया
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बहुत हो गया अबके साल
इतना तो कर दिया बबाल.

अब क्या क्या बर्बाद करोगे
पेड़-पहाड़ कब तक तोडोगे
गाय बैल बकरी का छोड़ो
लोगो का जीना है मुहाल

बहुत हो गया अबके साल
इतना तो कर दिया बबाल.

ग़लती हमसे हुई है माना
वन-उपवन सब काटे जाना
अवसर दो की सही कर पाए
अब तक जो कुछ किया निढाल

बहुत हो गया अबके साल
इतना तो कर दिया बबाल.

संजईया.

1 comment:

Subhesh said...

Sahi hai!! Challenging mother nature :)